इस साल न हो पुर-नम आँखें

0
892

“इस साल न हो पुर-नम आँखें, इस साल न वो खामोशी हो
इस साल न दिल को दहलाने वाली बेबस-बेहोशी हो
इस साल मुहब्बत की दुनिया में, दिल-दिमाग की आँखें हों
इस साल हमारे हाथों में आकाश चूमती पाँखें हों
ये साल अगर इतनी मुहलत दिलवा जाए तो अच्छा है
ये साल अगर हमसे हम को, मिलवा जाए तो अच्छा है
चाहे दिल की बंजर धरती सागर भर आँसू पी जाए
ये साल मगर कुछ फूल नए खिलवा जाए तो अच्छा है
ये साल हमारी कि़स्मत में कुछ नए सितारे टाँकेगा
ये साल हमारी हिम्मत को कुछ नई नज़र से आँकेगा
इस साल अगर हम अम्बर से दुःख की बदली को हटा सके
तो मुमकिन है कि इसी साल हम सब में सूरज झाँकेगा”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,693 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress