कविता विविधा उड़ान June 19, 2015 / June 19, 2015 by श्रद्धा सुमन | Leave a Comment कोई बता दे मुझे मेरी पहचान क्या है हूँ दीया कि बाती, या फिर उसकी पेंदी का अंधकार, हूँ तिलक उनकी ललाट पर या बस म्यान में औंधी तलवार… है आज द्वंद उठी, आंधी सवालों की एक हूक थी दबी जो अब मार रही चित्कार… हूँ कलश पल्लव से ढ़की, या बस चरणोदक या फिर […] Read more » Featured उड़ान
कविता उड़ान July 17, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- एक दिन बैठकर मैं, बस यही सोचता था, किस तरह से उड़ते हैं पक्षी, क्या उनकी उड़ान है। गिरने का न डर है उनको, उनकी यह पहचान है, सोचते-सोचते आखिर, पहुंच गया उस दौर तक, पंख तो होते हैं उनके, पर उनके हौसलों में जान है। कभी यहां तो कभी वहां, क्या गज़ब […] Read more » उड़ान पक्षी पक्षी कविता