कविता ऊसर जीजिविषा और वो August 26, 2012 / August 26, 2012 by बलबीर राणा | Leave a Comment बलबीर राणा भैजी सुनशान स्याह रात बैठा वह प्रहरी । अन्धयारे में आँख विछाये] उस अन्धकार को ढूंढता जो माँ के अस्तित्व को ध्वस्त करने को आतुर। यकायक सचेत हाsती निगाहें पलकें बिचरण करती] खोजती हर उस शाये और आहट को जो कहर ना बन जाये मातृभूमी पर। उसके दर्द की कोई सीमा नहीं] सीमा […] Read more » poem by balbir rana ऊसर जीजिविषा