कविता एक कवि के मन की व्यथा April 21, 2020 / April 21, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment पड़े पड़े घर में ऊब गया हूँ ,घन चक्कर सा घूम गया हूँ |बाहर जाओ तो पुलिस डाटती है,घर रहो तो बीबी फटकारती है |लिखते लिखते कलम थक गयी है ,बुद्धि भी अब बहुत थक गयी है |हाथो में अब पड गये है छाले ,कागजो के भी पड गये है लाले |अब कही मन नहीं […] Read more » corona men during lockdown poem during lockdown एक कवि के मन की व्यथा