गजल एक गजल -सिगरेट की बदनसीबी August 4, 2018 / August 4, 2018 by आर के रस्तोगी | 7 Comments on एक गजल -सिगरेट की बदनसीबी खुद को जलाकर,दूसरो की जिन्दगी जलाती हूँ मैं बुझ जाती है माचिस,जलकर राख हो जाती हूँ मैं पीकर फेक देते है रास्ते में,इस कदर सब मुझको चलते फिरते हर मुसाफिर की ठोकरे खाती हूँ मैं करते है वातावरण को दूषित पीकर जो मुझे लेते है लुत्फ़ जिन्दगी का बदनाम होती हूँ मैं लिखी है वैधानिक […] Read more » एक अजीब रिश्ता पाती हूँ मैं एक गजल -सिगरेट की बदनसीबी कागज तम्बाकू मैं उनकी सगी बहन हूँ