कहानी एक लोक कथा : आश्रय—पथ; पाथेय—दुःख October 14, 2011 / December 5, 2011 by गंगानन्द झा | Leave a Comment गंगानन्द झा बहुत दिन हुए, दूर के एक देश से होकर कुछ वीर सैनिक अपने अपने घोडों पर सवार होकर चले जा रहे थे । उनकी राह एक घने जंगल से होकर थी, जहाँ उलझी लताएँ काफी घनी और मजबूत हुआ करती थी ; ये इस राह पर भटक गए लोगों की मांसपेशियों को चीर-चीर […] Read more » lok katha एक लोक कथा