कविता कविता:अस्तित्व का खतरा-मोतीलाल June 1, 2012 / June 1, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मै दरअसल हर चीज के प्रति दिल से उठती चीख की तरह हमेशा से किनारा करता गया इसलिए खुद ही अपनी दीवार को अस्तित्व के गहरे रहस्य मेँ ताजिँदगी उधेड़ता ही गया अभिसार और मिलन के दायरोँ से किसी एक तरफ बढ़ते हाथ वक्त के गुम्बद मेँ निरपेक्ष अस्तित्व का साया सुबह की रोशनी […] Read more » poem by motilal कविता:अस्तित्व का खतरा कविता:अस्तित्व का खतरा-मोतीलाल कविता:मोतीलाल