कविता कविता:अस्तित्व का खतरा-मोतीलाल June 1, 2012 / June 1, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मै दरअसल हर चीज के प्रति दिल से उठती चीख की तरह हमेशा से किनारा करता गया इसलिए खुद ही अपनी दीवार को अस्तित्व के गहरे रहस्य मेँ ताजिँदगी उधेड़ता ही गया अभिसार और मिलन के दायरोँ से किसी एक तरफ बढ़ते हाथ वक्त के गुम्बद मेँ निरपेक्ष अस्तित्व का साया सुबह की रोशनी […] Read more » poem by motilal कविता:अस्तित्व का खतरा कविता:अस्तित्व का खतरा-मोतीलाल कविता:मोतीलाल
कविता कविता:जहाँ कहीँ भी होगा-मोतीलाल May 23, 2012 / May 23, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल जहाँ कहीँ भी होगा उठती अंतस से हूक अवसाद के चक्रवात मेँ रेखांकित नहीँ उसका वजूद गौर से यदि देखेँ मुखर होने की उनकी उपस्थिति है निश्चित ही हमसे करीब सभी समकालीन परिदृश्य चिँतन की किसी पद्धति मेँ अफसोसजनक नहीँ कि चीजेँ नहीँ वैसी जिन बुनियादोँ पर काटे जा रहे हैँ वनोँ को […] Read more » kavita by motilal कविता:जहाँ कहीँ भी होगा कविता:जहाँ कहीँ भी होगा-मोतीलाल कविता:मोतीलाल