कविता कविता : जीवन का हिसाब October 12, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा तुमसे बेहतर तुम्हें जाने कौन मुझसे बेहतर मुझे जाने कौन लोग कहें न कहें मानें न मानें जानें न जानें पहचानें न पहचानें क्या फर्क पड़ेगा जैसे हम हैं वैसे हम हैं जैसा आगे करेंगे वैसा ही बनेंगे सच है, झूठ से सच कैसे साबित करेंगे गलत तरीके से जब जोड़ेंगे संपत्ति […] Read more » कविता : जीवन का हिसाब