कविता कविता – दर्पण September 17, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल जो हो बहुत कोशिशोँ के बाद आज देख पाया अपना चेहरा और पाया बादल सा उड़ता एक सुखद अनुभूति अब खड़ा रह पाऊँगा मैँ आईने के सामने जिन दिनोँ मैँ करता करता कोशिश अपने चेहरे को देख पाऊँ कटी-फटी लाशेँ मुम्बई की उतर आता आईने मेँ उन मासूम बच्चोँ की चीख नहीँ […] Read more » कविता - दर्पण