कविता कविता – पीली रोशनी September 11, 2012 / September 11, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल अच्छा हुआ कि इस पीली रोशनी में चांद नहा उठा लहरें तट को छोड़ चुकी और बालों की तरह करुणा की जमीन लहरा उठी । सौदों के उस लड़ाई में उठा हुआ अंगुठा बार-बार मिमियता रहा कागज के आगे पूरी दुनिया बवंडर के जाल में अपनी पहचान खोली थी और हमारे आंगन का […] Read more » poem by motilal कविता - पीली रोशनी