कविता कविता – महानगर के मायने August 12, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल यहाँ मुझे कोई नहीँ पहचानता आकाश की तरह शून्य यहाँ मुझे कोई नहीँ जानता हवाओँ की तरह मुक्त यहाँ मुझे कोई नहीँ दिखता फूलोँ की तरह सौम्य यहाँ मुझे कोई नहीँ सुनता नदी की तरह उनमुक्त यहाँ मुझे कोई नहीँ महसूसता आँच की तरह तपन कोई भी यहाँ नहीँ […] Read more » poem by motilal कविता - महानगर के मायने