कविता कविता – शहर का आदमी June 24, 2013 / June 24, 2013 by मोतीलाल | Leave a Comment मैं कागज काला करता रहा कि पानी खतरे के निशान पार कर रहा है लोगों ने पढ़ा किसी के चेहरे लटक गये कोई तनावग्रस्त हो गया कोई ढूँढने लगा सर छुपाने की जगह कुछ ऐसे भी थे पढ़कर फेंक दिया कूड़ेदान में और सो गया पाँव पसारकर बड़े इत्मिनान के साथ । मैं बार-बार लिखता […] Read more » कविता - शहर का आदमी