आलोचना कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150 जयन्ती पर विशेष- दीन-हीन का सम्मान पद है धर्म May 13, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150 जयन्ती पर विशेष- दीन-हीन का सम्मान पद है धर्म -जगदीश्वर चतुर्वेदी हिंदी के बुद्धिजीवियों में धर्म ‘इस्तेमाल करो और फेंको’ से ज्यादा महत्व नहीं रखता। अधिक से अधिक वे इसके साथ उपयोगितावादी संबंध बनाते हैं। धर्म इस्तेमाल की चीज नहीं है। धर्म मनुष्यत्व की आत्मा है। मानवता का चरम है। जिस तरह मनुष्य के अधिकार हैं, लेखक के भी अधिकार हैं,वैसे ही धर्म के […] Read more » Rabindranath Tagore कविवर धर्म रवीन्द्रनाथ टैगोर