कविता साहित्य कारनामा June 25, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment उसका किसी से कोई बैर नहीं जो उससे बैर करे उसकी फिर खैर नहीं जो भी करे वह उसमें कोई शोर नहीं पुलिस अगर तफ्तीश करे भी मिले कोई डोर नहीं सुबह देर तक सोता है रात में काम सब करता है बड़े गाड़ियों में घूमता है जब चाहे उड़ता है कपड़े सफ़ेद पहनता है […] Read more » कारनामा