दोहे काल चक्र घूमता है February 14, 2020 / February 14, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment काल चक्र घूमता है, केन्द्र शिव को देखलो;भाव लहरी व्याप्त अगणित, परम धाम परख लो! कितने आए कितने गए, राज कितने कर गए;इस धरा की धूल में हैं, बह के धधके दह गए ! सत्यनिष्ठ जो नहीं हैं, स्वार्थ लिप्त जो मही;ताण्डवों की चाप सहके, ध्वस्त होते शीघ्र ही ! पार्थ सूक्ष्म पथ हैं चलते, […] Read more » काल चक्र घूमता है