व्यंग्य किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहां August 4, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अंशु शरण- 1. अवसरवाद लोकतन्त्र स्थापना के लिए वो हमेशा से ऐसे लड़ें, कि उखड़े न पाये सामंतवाद की जड़ें, इसलिए तो लोकतंत्र के हर स्तम्भ पर पूंजी के आदमी किये हैं खड़े। किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहाँ, संसद से लेकर अख़बार तक, हर जगह दलाल हैं भरे पड़े। तो हम क्यों ना जाये बाहर, […] Read more » किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहां व्यंग्य हिन्दी व्यंग्य