व्यंग्य कुविता में कविता March 30, 2021 / March 30, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “जुड़ती है सड़क एक सड़क से बासी रोटी ने महका रखा है घर को मैं कौन,निश्चित मैं मौन हूँ टूटी हैं बेड़ियां ,लड़कर थकी नहीं,सड़क का कूड़ा , समय से लड़ती कूचीदिमाग का दही बनाती है कविता “ जी नहीं अंतिम लाइन कोई स्टेटमेंट नहीं है ,अलबत्ता कविता का ही हिस्सा है ।आजकल कुछ कविताएं […] Read more » कुविता में कविता