कविता
कोरोना मे दिन मैंने कैसे काटे
/ by आर के रस्तोगी
मत पूछो,कोरोना मे दिन कैसे मैंने काटे,हाथो मे पड थे छाले,पैरों में चुभे थे कांटे।दर दर ठोकरें हर जगह मुझे खानी पड़ी थी,ये मेरे लिए मुश्किल की बहुत बड़ी घड़ी थी। घर में बन्द था,नहीं जा सकता था मै बाहर,बच्चे भी मना कर रहे थे,जाओ नहीं बाहर।घर में बैठ कर लिखता था मै कुछ कविता,तड़फ […]
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