समाज साहित्य साहित्य समाज का दर्पण है April 9, 2018 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on साहित्य समाज का दर्पण है आर के रस्तोगी “साहित्य समाज का दर्पण है” वो कैसे ?जिस तरह से आप दर्पण या शीशे (Miror) में अपने आप को देखते हो या निहारते हो तो आप उसी तरह से दिखाई देते हो जैसे आप हो| ठीक उसी तरह से साहित्य भी ऐसे देखने को मिलेगा जैसा समाज है क्योकि कोई लेखक या […] Read more » "कफ़न" "निर्मला" "मंगल सूत्र" Featured इतिहास गोदान दर्पण समाज साहित्य