गजल गजल:पालने से लेकर कांधों तक August 2, 2012 / August 2, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment सुजीत द्विवेदी पालने से लेकर कांधों तक कांपती है ज़िन्दगी, महज़ वक़्त के इशारों पर नाचती है ज़िन्दगी|| मन हुआ पागल क़ि ना जाना चाहे उस छोर तक, जिस ओर सिर्फ कुछ कदम नापती है ज़िंदगी| मरने को मर जाते हैं कुछ लोग यूं ही, कैसे भी, पैगाम-ए-मोहब्बत के साथ मरना चाहती है […] Read more » गजल:पालने से लेकर कांधों तक