शख्सियत समाज हिन्दी गजल और दुष्यंत कुमार May 26, 2018 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment हिन्दी गजल और दुष्यंत कुमार डॉ.सौरभ मालवीय हिन्दी गजल हिन्दी साहित्य की एक नई विधा है. नई विधा इसलिए है, क्योंकि गजल मूलत फारसी की काव्य विधा है. फारसी से यह उर्दू में आई. गजल उर्दू भाषा की आत्मा है. गजल का अर्थ है प्रेमी-प्रेमिका का वार्तालाप. आरंभ में गजल प्रेम की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त […] Read more » Featured उत्तर प्रदेश के बिजनौर गज़ल संग्रह दुष्यंत कुमार पलायनवादी कवि शासन-प्रशासन हिन्दी गजल
गजल कब से भटकता है सफीना May 24, 2014 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment -जावेद उस्मानी- साहिलों की जुस्तजू में, कब से भटकता है सफीना जाता है क़रीबे भंवर, कि कहीं नाख़ुदा तो मिल जाए स्याही से खींचते हैं कुछ लोग, सेहर की उम्मीद को उनको भी काश कभी कोई मशाले हुदा तो मिल जाए ढूढ़ते रहते हैं खुद को हर जा, कहीं हम हैं भी कि नहीं हैं […] Read more » गज़ल गज़ल संग्रह हिन्दी गजल