व्यंग्य गड़पने का अहिंसात्मक नुस्खा November 12, 2014 / November 15, 2014 by अशोक गौतम | 6 Comments on गड़पने का अहिंसात्मक नुस्खा शहर के बीचो- बीच भगवान का जर्जर मंदिर। भगवान का मंदिर जितना जर्जर हो रहा था उनके कारदार उतने ही अमीर। पर भगवान तब भी मस्त थे। यह जानते हुए भी कि उनके भक्तों को उनकी रत्ती भर परवाह नहीं। परवाह थी तो बस अपनी कि जो वे भगवान से रूप्या, दो रूप्या चढ़ा मांगें, […] Read more » simplest way of aquisition गड़पने का अहिंसात्मक नुस्खा