कविता
गायत्री के जाप से…..
/ by राकेश कुमार आर्य
संध्या में जब बैठिए, करो यही विचार।शुद्ध बुद्ध मैं हो रहा, स्वामी जगदाधार।। काम मुक्त मैं हो रहा, क्रोध से हो गया दूर।मद मोह मिटने लगे, लोभ हुआ काफूर।। चैतन्य भाव जगाइए, समझो शुद्ध चैतन्य।चैतन्य का चैतन्य से, मेल बड़ा प्रणम्य।। भाव शुद्धि कीजिए , जपते – जपते ओम।क्रोध भाव को त्यागिए, धारण करके सोम।। […]
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