समाज साहित्य साहित्य समाज का दर्पण है April 9, 2018 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on साहित्य समाज का दर्पण है आर के रस्तोगी “साहित्य समाज का दर्पण है” वो कैसे ?जिस तरह से आप दर्पण या शीशे (Miror) में अपने आप को देखते हो या निहारते हो तो आप उसी तरह से दिखाई देते हो जैसे आप हो| ठीक उसी तरह से साहित्य भी ऐसे देखने को मिलेगा जैसा समाज है क्योकि कोई लेखक या […] Read more » "कफ़न" "निर्मला" "मंगल सूत्र" Featured इतिहास गोदान दर्पण समाज साहित्य
राजनीति साक्षात्कार गोदान इसलिये कि खुशियां साथ जायें और नवजीवन मिले: संजय जोशी December 30, 2015 by अरूण पाण्डेय | 1 Comment on गोदान इसलिये कि खुशियां साथ जायें और नवजीवन मिले: संजय जोशी गायों के यशस्वी स्थान पर कुछ लोगों की नजर लग गयी है और उनके पेट में यह बात पच नही रही है कि उसे कैसे पूज्यनीय होने से रोका जा सके । इसी गाय के लिये हिन्दू इतने साल तक संधर्ष करते रहे और आज भी कर रहे है लेकिन हिन्दू होने के बाद भी […] Read more » Featured Sanjay Joshi गोदान संजय जोशी