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Tag: घन घन घण्ट देवालय टकोरे

दोहे साहित्‍य

घन घन घण्ट देवालय टकोरे, अविरत गूँजे जा रहे हैं॥

May 29, 2019 / May 29, 2019 by डॉ. मधुसूदन | 3 Comments on घन घन घण्ट देवालय टकोरे, अविरत गूँजे जा रहे हैं॥

डॉ. मधुसूदन (१) घन घन घण्ट देवालय टकोरे,—अविरत गूँजे जा रहे हैं। मेरे भारत की आरति–आज, विश्व सारा गा रहा है॥ —आनंद आकाश छू रहा है॥ (२) पांचजन्य* सुन, बज रहा है—हो रहा, विलम्बित *सबेरा। भोर की, आरति भारत की—–गा रहा है विश्व सारा ॥ घन घन घण्ट देवालय टकोरे,—अविरत गूँजे जा रहे हैं। (पांचजन्य* […]

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घन घन घण्ट देवालय टकोरे
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