कविता आज का आदमी December 10, 2018 / December 10, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on आज का आदमी आज का आदमी,आदमी कहाँ रह गया है वह तो आज की,चकाचोंध में बह गया हैअगर आज, आदमी,आदमी होता तो वह आज की चकाचोंध में न बहता आज के आदमी में,आदमियत निकल चुकी है वह तो आज स्वार्थ के हाथो बिक चुकी है अगर आज आदमी में स्वार्थ न होता तो वह आज आदमियत से बंधा होता आज आदमी,आदमी से […] Read more » आज का आदमी इर्ष्या घर्णा स्वार्थ