कविता घर मेरा है नाम किसी का September 1, 2015 by श्यामल सुमन | Leave a Comment घर मेरा है नाम किसी का और निकलता काम किसी का मेरी मिहनत और पसीना होता है आराम किसी का कोई आकर जहर उगलता शहर हुआ बदनाम किसी का गद्दी पर दिखता है कोई कसता रोज लगाम किसी का लाखों मरते रोटी खातिर सड़ता है बादाम किसी का जीसस, अल्ला […] Read more » Featured घर मेरा है नाम किसी का