कविता करवाचौथ पर पंजाबी टप्पे October 27, 2018 / October 27, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on करवाचौथ पर पंजाबी टप्पे दिन करवाचौथ दा आया है मांग भर ले तू सजनी तेरा साजन सिन्दूर लाया है दिन मेहंदी दा आया है हत्था नू तू रचा सजनी तेरा साजन मेहंदी लाया है दिन सुहागन दा आया है करले सोलह श्रंगार सजनी तेरा श्रंगार दा सामान आया है ये साल में एक बार आंदा है खुशियाँ मना तू […] Read more » करवांचौथ पर पंजाब टप्पे खुशियों चाँद
कविता प्रतीक्षा कर रही हूँ तुम्हारी सनम June 22, 2018 / June 22, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी प्रतीक्षा कर रही हूँ तुम्हारी सनम अभी तक क्यों नहीं आये सनम ? सूर्य भी अब अस्त हो चूका घर भी अपने वह जा चूका पक्षी भी घोंसले में आ चुके श्रमिक भी थक कर आ चुके मै किसको बताऊ ये अपना गम प्रतीक्षा कर रही हूँ तुम्हारी सनम अभी तक क्यों […] Read more » गगन चाँद तुम्हारी सनम प्रतीक्षा कर रही हूँ बिजली
कविता सूरज और चाँद भी मजे लेने लगे है June 12, 2018 / June 12, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कलयुग में सब बदलने लगे है सूरज,चाँद भी बदलने लगे है ये भी अब मजे लेने लगे है अपनी आदत बदलने लगे है इंसान की तरह बदलने लगे है एक दूजे को धोखा देने लगे है “सूरज” की जरा असलियत तो देखो, सुबह सैर को निकलता है “किरन” के साथ दोपहर को रहता है “रौशनी” […] Read more » कलयुग चाँद सूरज सूरज और चाँद भी मजे लेने लगे है
गजल कमी है परवरिश में इसलिए मनद्वार ऐसे हैं, May 14, 2018 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment कमी है परवरिश में इसलिए मनद्वार ऐसे हैं, नई कलियाँ मसलते हैं, कई किरदार ऐसे हैं। नहीं जलते वहाँ चूल्हे, यहाँ पकवान हैं ताजा, हमारी भी सियासत के नए हथियार ऐसे हैं। हकीकत जान पाए ना, वहम से ही शिला तोड़ी, यहाँ अच्छे भले से लोग कुछ बीमार ऐसे हैं। सिसक होगी ज़रा सी बस […] Read more » गुलाब चाँद धर्म पुरुष कुंठा बादशाह सिकन्दर महफ़िल शक्ल
कविता चाँद की भी चमक May 10, 2018 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment चाँद की भी चमक मैं चुरा लाऊंगा तुझसे ज्यादा चमकता दिखा जो मुझे, इत्र की भी महक मैं दबा आऊंगा तुझसे ज्यादा महकता मिला जो मुझे, मांग साँझ के सूरज से लाली तेरे लाल अधरों पे लाली लगा दूंगा मैं, चुन के बागों से फूलों की कलियाँ तेरे केश बागों के भांति सजा दूंगा मैं, […] Read more » चाँद दरमियाँ फूलों की कलियाँ बिंदियाँ सजा सजता