कविता
महीने के चार दिन वो खुद से लड़ती है
/ by प्रवक्ता ब्यूरो
लेखक : आदर्श गौतम महीने के चार दिन वो खुद से लड़ती है, खुद को अकेला समझती है, तकलीफ में रहती है, रोती है, बिलखती है, पर फिर भी सब झेलती है।। महीने के चार दिन ना हो तो परेशान हो जाती है, और आने पर अपवित्र कहलाती है, इसलिए सबसे छुपाती है, सारे काम […]
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