कविता साहित्य कविता ; चिंता या चेतना – मोतीलाल April 27, 2012 / April 27, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल अपना कोई भी कदम नए रुपों के सामने कर्म और विचार के अंतराल में अनुभव से उपजी हुई कोई मौलिक विवेचना नहीं बन पाता है और विचार करने की फुर्सत में ज्यादा बुनियादी इलाज उपभोक्ताओं की सक्रियता के बीच पुरानी चिंता बनकर रह जाती है शून्य जैसी हालत मेँ स्वीकृति के विस्तार को […] Read more » poem Poems कविता चिँता या चेतना कविता