राजनीति विधि-कानून चुनाव सुधार की बढ़ती जरूरत September 23, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव राजनीति का बहुआयामी अपराधीकरण शायद हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी बिडंबना है। हर चुनाव के बाद संसद और विधानसाभाओं में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी हुर्इ दिखार्इ देती है। राजनीतिक दलों के पदों और समितीयों में भी इनकी शकित बढ़ी है और प्रभाव का विस्तार हुआ है। तय है,यह स्थिति लोकतंत्रिक व्यवस्था पर […] Read more » चुनाव सुधार की बढ़ती जरूरत