व्यंग्य छंगाजी की नाक September 27, 2012 / September 27, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment वैसे तो मुझे कटिंग कराने का कतई शौक नहीं है किंतु अच्छे खासे पुरुष को बेदर्द जमाने के लोग नारी की उपाधि से विभूषित न कर दें मैं साल में दो बार कटिंग करा ही लेता हूँ|मतलब छः महिने व्यतीत होते ही मुझे अपने केश कतरवाने जाना ही पड़ता है|मजबूरी यह है कि जैसे ही […] Read more » छंगाजी की नाक