दोहे साहित्य छोड़ कर जगत के बंधन ! July 6, 2017 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment छोड़ कर जगत के बंधन, परम गति ले के चल देंगे; एक दिन धरा से फुरके, महत आयाम छू लेंगे ! देख सबको सकेंगे हम, हमें कोई न देखेंगे; कर सके जो न हम रह कर, दूर जा कर वो कर देंगे ! सहज होंगे सरल होंगे, विहग वत विचरते होंगे; व्योम बन कभी व्यापेंगे, […] Read more » छोड़ कर जगत के बंधन