व्यंग्य साहित्य जब – जबरा बोले …!! November 29, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | 2 Comments on जब – जबरा बोले …!! तारकेश कुमार ओझा बचपन में पढ़ी उस कहानी का शीर्षक तो अब मुझे याद नहीं, लेकिन सारांश कुछ हद तक याद है। जिसमें सब्जी बेचने वाली एक गरीब महिला का बेटा किसी हादसे में गुजर जाता है। लेकिन परिवार की माली हालत और गरीबी की मारी बेचारी उसकी मां को दो दिन बाद ही फुटपाथ […] Read more » Featured जब – जबरा बोले