कला-संस्कृति सभ्य मन की अनग अभिव्यक्ति है होली – जयप्रकाश सिंह February 28, 2010 / December 24, 2011 by जयप्रकाश सिंह | 7 Comments on सभ्य मन की अनग अभिव्यक्ति है होली – जयप्रकाश सिंह भारतीय मनीषीयों ने ईवर की अनुभूति ‘रसो वै सः’ के रुप में की है । चरम अनुभति को रसमय माना है । यही मनीषी ईवर को सिच्चदानंद भी कहता है । यानी भारतीय मानस के लिए ईवर और आनंद की अनुभूतियां अलग अलग नहीं हैं । होली भारतीय चित द्वारा इसी रस की स्वीकृति और अभिव्यक्ति है । […] Read more » Holi जयप्रकाश सिंह होली
टॉप स्टोरी भारतीय क्रांति परम्परा की यात्रा – जयप्रकाश सिंह November 7, 2009 / November 7, 2009 by जयप्रकाश सिंह | 4 Comments on भारतीय क्रांति परम्परा की यात्रा – जयप्रकाश सिंह भारत में व्यवस्था परिवर्तन की विशेष वैचारिक-सांस्कृतिक परम्परा रही है। यह ऐसी परम्परा है जिसमें व्यवस्था परिवर्तन का मतलब सत्ता परिवर्तन नहीं होता अपितु शाश्वत कहे जाने वाले जीवन-मूल्यों एवं जीवन-दर्शन को प्रतिष्ठित तथा नवीन परिस्थितियों में परिभाषित करने की कोशिश की जाती है। यह क्रांति परम्परा ‘तंत्र’ के बजाय ‘तत्व’ परिवर्तन पर जोर देती […] Read more » Jayprakash Singh क्रांति परम्परा जयप्रकाश सिंह जीवन-दर्शन जीवन-मूल्यों भारतीय यात्रा