राजनीति मनमोहनी बातें हैं, बातों का क्या August 17, 2010 / December 22, 2011 by डॉ. सुभाष राय | 5 Comments on मनमोहनी बातें हैं, बातों का क्या बार-बार ऐसी अच्छी, मीठी बातें हमारे शासक करते रहे हैं। कुछ अच्छी योजनाएं बनती भी हैं तो नेता, अफसर और ठेकेदारों की तिकड़ी उनके धन को बीच में ही निगल जाती है। भ्रष्टाचार की पतितसलिला बाकी बचा-खुचा अपने भीतर समा लेने को मुंह बाये खड़ी दिखती है। ऐसे में केवल भाषणों से आगे जाने की जरूरत है, सख्त पहल की आवश्यकता है। केवल बातों से बात बनने वाली नहीं है। ये सब अगर सिर्फ बातें हैं तो इन बातों का क्या? Read more » Manmohan Singh जश्न-ए-आजादी के बाद