कविता कविता : जीने का रहस्य July 30, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा न जाने कितनी रातें आखों में काटी हमने प्रेम में नहीं, मुफलिसी में रातें ऐसे काटी हमने खाते-खाते मर रहें हैं न जाने कितने बड़े लोग एक नहीं, हजारों को भूखों मरते देखा हमने दोस्त जो कहने को तो थे बिल्कुल अपने वक्त पर उन्हें मुंह फेर कर जाते देखा […] Read more » जीने का रहस्य