गजल इंसा खुद से ही हारा निकला July 28, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -नवीन विश्वकर्मा- किसके गम का ये मारा निकला ये सागर ज्यादा खारा निकला दिन रात भटकता फिरता है क्यों सूरज भी तो बन्जारा निकला सारे जग से कहा फकीरों ने सुख दुःख में भाईचारा निकला हथियारों ने भी कहा गरजकर इंसा खुद से ही हारा निकला चांद नगर बैठी बुढ़िया का तो साथी कोई न […] Read more » इंसा खुद से ही हारा निकला गजल जीवन गजल