कविता जीवन में आगे ही बढ़ें January 8, 2014 / January 8, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment वो तूफ़ान में फंसी, हमारी डूबती नैया एक लकड़ी के सहारे, हम किनारा ढूँढ़ने निकले वो डरावनी अंधेरी रात, जंगल में फंसे थे जब कहीं चमके कई जुगनू, उसी की रौशनी में हम रस्ता ढूँढ़ने निकले। वो ऊंची सी खड़ी चट्टान, काई में फिसलते पांव हमे जाना था उसके पार, एक रस्सी के सहारे ही हम गंतव्य तक पंहुचे। एक […] Read more » poem जीवन में आगे ही बढ़ें