कविता कविता-ठण्डी ठण्डी बौछारें September 24, 2013 / September 24, 2013 by जगमोहन ठाकन | Leave a Comment जग मोहन ठाकन भादों की तपती उमस में , सावन का एहसास दिलायें । फुहार बरसती बौछारें, ये ठण्डी ठण्डी बोछारें ।। उदास हुए ये गुवार के पत्ते मूंह लटकाये बाजर सिरटी । बौछारों की इक छुअन से खिल खिल जाये खेत की मिटटी। ऐसा सहलायें बौछारे , ये ठण्डी ठण्डी बौछारें ।। रातों भेजे […] Read more » ठण्डी ठण्डी बौछारें