अपना वजूद खोती हरियाणा की खाप पंचायतें
जग मोहन ठाकन भारतीय न्यायालयों के समानांतर अपनी आक्रान्ता छवि से कभी अपने फतवे जारी कर अलग से…
जग मोहन ठाकन भारतीय न्यायालयों के समानांतर अपनी आक्रान्ता छवि से कभी अपने फतवे जारी कर अलग से…
रोहनात में अंग्रेजों की बर्बरता के मूक गवाह हैं बरगद के पेड़ और जर्जर…
कार्ल मार्क्स ने कहा था- धर्म अफीम के समान है . पर कोई व्यक्ति क्यों…
जग मोहन ठाकन लगातार छह माह से इन्तजार करके आँखें थक चुकी थी कि शायद…
पंजाब विधान सभा चुनावों में सभी पार्टियों ने अपने अपने लुभावने वायदे जनता के बीच…
जग मोहन ठाकन चार व पांच अगस्त की रात्रि को चंडीगढ़ जैसे सुरक्षित समझे…
जग मोहन ठाकन अबकी बार तो मुझे पक्का भरोसा है , निशा मौसी का नाम…
जग मोहन ठाकन प्रकृति का सिद्धांत है जो विपरीत परिस्थितियों के अनुसार अपने आप…
चौबे जी मंद मंद मुस्काये , बोले –ठीक पकड़े है . आज की सत्ता के शिखर पर बैठे पुरोधा यही तो चाहते हैं , यही तो इनका एजेंडा है , कि वजन बढे तो केवल उनका , दूसरा कोई इनके समान वजन धारी ना हो जाए . सुना है कि कुछ ‘शाह’ लोग ज्यादा ही वजनधारी होने लगे थे , पर समय रहते हमारे पारखी ‘ग्रीन टी’ वाले की नजर पड़ गयी और आज उनका लगभग बीस किलो वजन कम हो गया बताते हैं . वजन कम करने की तकनीक में तो ग्रीन टी का कोई सानी नहीं है . कल तक जिनकी ‘वाणी’ में अदम्य ‘जोश’ था , आज उनका इतना कम वजन हो गया है कि कोई उनका वजन तौलने तक राजी नहीं है .
जग मोहन ठाकन बाबा रामदेव जी महाराज को आप चाहे योग गुरु कहें या…
यहाँ प्रश्न यह नहीं है कि गौ वंश को वैध रूप से ले जाया जा रहा था या अवैध रूप से . प्रश्न यह है कि क्या किसी भी व्यक्ति को कानून को एक तरफ रखकर अपने स्तर पर ही सजा देने का अधिकार है ? क्या गौरक्षकों को यह अधिकार है कि वे अपने ही स्तर पर फैसला ले लें और व्यापारियों पर हमला बोल दें ? गौ रक्षकों को किसने यह अधिकार दिया है कि वे स्वयं बिना पुलिस व प्रशासन को सूचित किये ही तथा बिना उनका सहयोग लिए ही अपने स्तर पर चेकिंग करें और पिटाई करें ? क्या राज्य सरकार की मशीनरी इतनी पंगु हो गयी है कि गौरक्षकों को अवैध व्यापार की रोक थाम के लिए स्वयं ड्यूटी देनी पड़े . ?
हरियाणा के जाट व अन्य जातियों के ओ बी सी में शामिल करने की मांग व राजस्थान में अगड़ी जातियों की आर्थिक आधार पर पिछड़े वर्ग को आरक्षण की मांग विभिन्न स्तरों पर सरकारों व राजनैतिक दलों की साजिश की शिकार होती रही हैं और अगर यही परिदृश्य रहा तो शिकार होती भी रहेंगी । एक मोटे अनुमान के अनुसार 80 % से अधिक हरियाणा के जाट कृषि व पशुपालन का कार्य करते हैं ।