कविता साहित्य ताजगी June 28, 2013 by मिलन सिन्हा | 2 Comments on ताजगी सुबह की ठंडी हवा दूर नदी में निरंतर बहती जलधारा आकाश में तैरते छोटे सफ़ेद -काले बादल उड़ते छोटे- बड़े पक्षी दूर तक फैली हरियाली झोला उठाए, कलरव करते बच्चों का पाठशाला जाना गाय- बकरियों का उनके साथ-साथ आसपास चलना युवा किसान का अपने चौड़े कंधे पर हल रखकर बैलों के पीछे-पीछे खेत की ओर […] Read more » ताजगी