व्यंग्य ताजा दल बदलिए से संवाद January 23, 2017 / January 23, 2017 by अशोक गौतम | Leave a Comment वे नख से शिख तक अलग ही भाव भंगिमा में लचकते- मटकते आते दिखे पर फिर भी उन्हें पहचानते देर न लगी। सोचा, चुनाव के दिनों में ठूंठ भी लहलहाने लगते हैं और ये तो …… वे नजदीक आए तो वही निकले पर उनके सिर पर उस विरोधी दल की टोपी देख हैरत हुई जिसे […] Read more » ताजा दल बदलिए से संवाद