परिचर्चा तीसरी किश्त June 16, 2015 / June 16, 2015 by गंगानन्द झा | Leave a Comment -गंगानंद झा- इस्लाम साहब से हमारी मुलाकात कई वर्षों के बाद हुई । अब वे बाकायदा प्रतिष्ठित और सम्पन्न पाकिस्तानी नागरिक और उद्योगपति हो चुके थे, बाकायदे पासपोर्ट, विसा पर आए थे । पाकिस्तान की बातें करते हुए उन्होंने कहा, ‘अरे हम लोग तो बनिया हैं । रोजगार की खातिर दूर-दराज जाना हमारी फितरत रही […] Read more » Featured इस्लाम तीसरी किश्त