कविता साहित्य दादाजी अब चिता छोड़ें October 9, 2019 / October 9, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बार -बार दादाजी मेरा , बस्ता यूँ न छुआ करें। धूल लगी है करूँ सफाई, यह कहकर बस्ता छूते। साफ सफाई बड़ी उमर में, नहीं आपके है बूते। काम कर सकूँ मैं खुद अपने, यही आप बस दुआ करें। मैं शाळा जाती हूँ बस से, उससे ही वापस आती। टीचर देख रेख करते हैं, पूर्ण […] Read more » दादाजी अब चिता छोड़ें