कविता
दादी का संदूक !
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
स्याही-कलम-दवात से, सजने थे जो हाथ !कूड़ा-करकट बीनते, नाप रहें फुटपाथ !!बैठे-बैठे जब कभी, आता बचपन याद !मन चंचल करने लगे, परियों से संवाद !! मुझको भाते आज भी, बचपन के वो गीत !लोरी गाती मात की, अजब-निराली प्रीत !! मूक हुई किलकारियां, चुप बच्चों की रेल !गूगल में अब खो गए,बचपन के सब खेल […]
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