कविता दीप June 20, 2014 / June 21, 2014 by बीनू भटनागर | 1 Comment on दीप -बीनू भटनागर- वायु बिन वो जल न पाये, वायु से ही बुझ जाये है। दीप तेरी ये कहानी तो, कुछ भी समझ न आये है। तू जला जो मंदिरों में, पवित्र ज्योति कहलाये है। आंधियों में ठहरा रहा तो, संकल्प बन जाये है। मृत्यु शैया पर जले तो, पीर अपनो की बन जाये है। आरती […] Read more » दीप दीप कविता हिन्दी कविता