कविता
बाल कविता : दुश्मन को कभी मित्र न मानो
/ by आर के रस्तोगी
मिली कही तुलसी की माला, लेकर उसे गले में डाला। तन पर अपने राख लगाई, बैरागी सा रूप बनाया। बिल्ली चली प्रयाग नहाने, चूहो से बोली,ए प्यारो, मैने किए हजारों पाप, तुमको दिए कितने संताप, कर उन सब पापो का ख्याल, मैने छोड़ा ये जग जंगाल, अब जाती हूं तीर्थ करने, राम राम रट कर […]
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