व्यंग्य साहित्य देख लिया न दादू! June 15, 2013 / July 7, 2013 by अशोक गौतम | Leave a Comment दादू! देख लिया न अपनी जिद का नतीजा ! अपनी तो फजीहत करवाई ही, हमारी भी बची खुची नाक कटवा कर रख दी। लुटिया डुबोते तो सुना था पर आपने तो लोटा ही डुबो दिया! अब देखो न, हमारे जैसे – कैसे परिवार का गांव में क्या मैसेज गया ! खैर, इज्जत तो हमारी पहले […] Read more » देख लिया न दादू!